दक्षिण एशिया में संप्रभु देश

भारत दक्षिण एशिया का सबसे विशाल देश है। यात्रा एवं पर्यटन की दृष्टि से यह एक अति समृद्ध देश है जहाँ कई प्रकार के दर्शनीय स्थल मौजूद है, जिसमें कई स्थान कई हजार वर्ष पुराने भी होते हैं। इसमें कई ऐसे स्थल भी मौजूद है, जिसे अब तक लोगों ने नहीं देखा है और कई स्थल तो ऐसे भी हैं जिसके बारे में कई लोग जानते भी नहीं है। इसमें कई व्यस्त शहर भी हैं, जैसे राजधानी दिल्ली, मुम्बई आदि।

ऐसे कम ही देश इस दुनिया में हैं जहाँ एक ही देश में यात्रा व पर्यटन के इतने विविधता भरे स्थान उपलब्ध हों। जहाँ भारत की सीमा एक तरफ हिन्द महासागर से घिरी है वहीं दूसरी ओर विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत हिमालय हैं। राजस्थान में विशाल रेतीले रेगिस्तान हैं, तो लद्दाख व लाहौल स्पीति में बर्फीले मरुस्थल भी हैं। कश्मीर से अरुणाचल तक जहाँ बर्फीली चोटियाँ हैं, वहीं पूर्वी व पश्चिमी घाट पर्वत भी हैं जिनकी जैव विविधता अतुल्य है। गंगा यमुना ब्रह्मपुत्र नर्मदा ताप्ती कावेरी आदि गतिमान नदियाँ भी हैं, वहीं चिल्का, डल, वूलर आदि झीलें भी दर्शनीय हैं। समुद्रतट (सी बीच) तो न जाने कितने हैं, अंडमान और लक्षद्वीप जैसे चारों ओर समुद्र से घिरे हुए द्वीप भी हैं। एक तरफ गंगा यमुना के और पंजाब की पञ्च विशाल नदियों के हरे भरे मैदान हैं तो दूसरी ओर कच्छ का विशाल रन है, जहाँ प्रकृति निराले ही रूप में कभी जल तो कभी थल के रूप में रहती है। प्राकृतिक ही नहीं, मानवीय प्रयासों से बने भी अनेकानेक दर्शनीय स्थल भारत में भरे पड़े हैं। ताजमहल को कौन नहीं जानता? खजुराहो के मंदिर, अजंता एल्लोरा की गुफाएं विश्व प्रसिद्ध हैं।

क्षेत्र

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भारत का नक्शा
उत्तर भारत (जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड)
यहाँ बहुत से खूबसूरत पहाड़ मौजूद है। ये जगह पर्यटकों के लिए बहुत ही रोमांचक और आध्यात्मिक है।
समतल भारत (बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश)
यह गंगा और यमुना नामक नदियों से सींचा हुआ क्षेत्र है। इसमें दिल्ली देश की राजधानी है। आगरा का ताज महल यहाँ का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। इसके अलावा यहाँ कई पवित्र धार्मिक स्थल भी है जैसे इलाहाबाद, मथुरा, वाराणसी, मथुरा और बोध गया
पश्चिम भारत (दादरा और नागर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान)
थार का रेगिस्तान, रंगों का स्थान और कई किलों वाला राजस्थान है। यहाँ देश का सबसे बड़ा शहर मुंबई है, जिसे बॉलीवुड अर्थात हिन्दी फिल्म उद्योग के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र के अजंता और एलोरा के गुफा और गोवा के जंगल व गुजरात के शेर आदि कई सारे देखने लायक जगह है। इसमें कुछ बहुत तेजी से विकसित होते शहर भी है जैसे:अहमदाबाद, सूरत, जयपुर, पुणे, गुजरात की सीमा पर स्थित मानगढ़ की पहाड़ी आदि।
दक्षिण भारत (अंडमान व निकोबार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, पुदुच्चेरि, तमिल नाडु, तेलंगाना)
दक्षिण भारत में कई प्रसिद्ध व एतिहासिक मंदिर, वन, समुद्रतट, पर्वतीय क्षेत्र, tropical forests, backwaters, beaches, hill stations, हैं तथा कई जीवंत नगर भी, जिनमें बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुअनंतपुरम तथा हैदराबाद प्रमुख हैं। मैसूर नगर अपने महलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। पूर्व में स्थित अंडमान व निकोबार व पश्चिम में लक्षद्वीप को सुविधा के लिए इसी क्षेत्र में गिन लिया जाता है, हालाँकि वे mainland से काफी दूर हैं और अपनी अद्वितीय विशेषताओं से युक्त हैं।
पूर्व भारत (छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओडिशा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल)
आर्थिक तौर पर कम विकसित यह क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से अति समृद्ध है। ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी रह चुके कोलकाता, व मंदिरों के शहर पुरी, भुवनेश्वरकोणार्क आदि यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं। इस क्षेत्र का विस्तार पहाड़ों से लेकर समुद्र पर्यन्त है, जिसे कि यहाँ जलवायु में बहुत अंतर दिखाई पड़ता है। यह क्षेत्र भारत का खनिजों का भण्डार भी है।
उत्तर-पूर्व भारत (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा)
लगभग कटा हुआ और अनछुआ , यह क्षेत्र भारत का जनजातीय कोना है। मनोरम दृश्यों और जैव विविधता से भरपूर यह क्षेत्र endemic flora and fauna of the Indo-Malayan group और चाय के बागानों के लिए मशहूर है। विश्व में सर्वाधिक वर्षा मेघालय में ही होती है। ये सात राज्य भारत के अन्य राज्यों से तुलनात्मक रूप से काफी छोटे हैं, (हालाँकि इनमें से कुछ स्विट्ज़रलैण्ड या ऑस्ट्रिया से तो बड़े ही हैं) , तथा इन्हें ७ सिस्टर्स भी कहा जाता है।

अन्य जानकारी

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इतिहास

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दिल्ली सल्तनत

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1192 तक सुल्तान महम्मद गोरी ने पंजाब और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था। 1206 में उसकी हत्या के बाद उसके तुर्क गुलाम क़ुत्ब उद-दीन ऐबक ने अपना राज्य घोषित कर दिया। पाँच वंश ने एक के बाद एक इस राज्य पर शासन किया:- मामुलक वंश (1206-90), खिलजी वंश (1290-1320), तुगलक वंश (1320-1414), सय्यद वंश (1414-51), और लोदी वंश (1451-1526)। इनका राज मुख्यतः दिल्ली, पंजाब, बंगाल और वर्तमान उत्तर प्रदेश पर रहा।

मुगलों का प्रवेश

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मुगल फ़रग़ना वादी (वर्तमान उज्बेकिस्तान में है) के वंशगत शासक थे। पहले उन्होंने काबुल पर शासन स्थापित किया। वहाँ से उन्होंने दिल्ली सल्तनत के पठान लोदी वंश को हराया। यह भारत में अपना शासन बसाने आये थे। 1540 से 1555 तक एक और पठान वंश सूरी द्वारा भारत से खदेड़ दिये गए थे।

अंग्रेजों का शासन

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पहले अंग्रेज़ यहाँ से सामान लेकर अपने देश में बेचने के का कार्य कर रहे थे। उसके बाद धीरे धीरे वे लोग हर राजा के राज्य को अपने कब्जे में लेने लगे थे। अंग्रेज़ केवल अपने देश के लिए हिंदुस्तान से सोना चाँदी मसाले हीरे पुरानी मूर्ति आदि ले जाते थे। उन लोगों ने इस कार्य को आसान करने के लिए बहुत सारे रेल मार्ग का निर्माण कराया था। अंग्रेजों ने इसी के साथ साथ धर्म परिवर्तन का कार्य भी किया। हिंदुस्तान में कई स्थानों पर ईसाई विद्यालय बनाने लगे और चर्च आदि का निर्माण भी करने लगे।

आजादी के बाद

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1947 में आजादी के उपरांत भारत का दो देशों में बटवारा किया गया। भारत और पाकिस्तान (1971 तक बांग्लादेश भी इसी में सम्मिलित था)। 1947 के युद्ध में दोनों देशों के बीच कश्मीर क्षेत्र के उपर युद्ध हुआ। शांति उपरांत एक तिहाई हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा हो गया। यह इलाका दोनों देशों में अभी भी विवाद का कारण बना हुआ है। भारत 1950 में संविधान के अपनाने के बाद गणतंत्र घोषित हुआ। 1964 तक जवाहर नेहरू प्रधानमंत्री रहे।

भारत में बरसात केवल मुख्यतः वर्ष के कुछ माह में ही होता है। यह समय लगभग 15 जून से 15 सितम्बर तक का होता है। इस मौसम को मानसून के नाम से भी जाना जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं, जिसे हवा के दिशा से पहचाना जाता है। इनके नाम दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्व मानसून है। इसमें दक्षिण-पश्चिम मानसून बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे लगभग पूरे देश के हर भाग में वर्षा होती है। यह खेती के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

उत्तर-पूर्व मानसून मुख्यतः अक्टूबर और फरवरी में प्रभाव में रहता है। यह सामान्यतः चक्रवात और तूफान के रूप में आता है। हर साल इसके कारण कई प्रकार की हानि होती है। लेकिन अक्टूबर के बाद मौसम काफी खुला हो जाता है और इसके कुछ दिनों के बाद देश के कई स्थानों में एक भी बादल नहीं होते हैं और मौसम बहुत अच्छा रहता है। क्योंकि इस समय न तो अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक ठंड पड़ती है।

यात्रा

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देश की नागरिकता के अनुसार नियम और रुकने की अवधि अलग अलग है। नेपाल और भूटान के लोग बिना वीजा के भी भारत में अनन्त समय तक रह सकते हैं। आपके आने के कारण अनुसार आपको पर्यटन वीजा (6 महीने), व्यापार वीजा (6 महीने, एक साल और उससे अधिक, कई बार) या विद्यार्थी वीजा मिल सकता है, जिसकी अधिकतम अवधि पाँच वर्षों तक होती है। एक विशेष वीजा पूरे दस वर्षों तक आपको देश में घूमने देता है, हालांकि इसका उपयोग केवल कुछ ही देशों के लोग कर सकते हैं। भारतीय वीजा की अवधि आपने आने पर नहीं, बल्कि जिस दिन जारी होता है, उसी दिन से उसकी अवधि भी शुरू होती है। जैसे, यदि आपके लिए 1 जनवरी को 6 माह का वीजा जारी किया गया है, तो वह 30 जून को ही समाप्त होगा, चाहे आप कितने भी दिनों की देरी करें।

अफगानिस्तान, चीन, ईरान, पाकिस्तान, इराक, सुडान, बांग्लादेश, विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानी, बांग्लादेशी मूल के लोगों को 2012 के अनुसार साठ दिनों तक रुकना होता है। पर्यटन वीजा की अवधि 6 माह में समाप्त हो जाती है। इसके द्वारा आप अधिकतम 90 दिनों तक रह सकते हैं। इसमें रहने की सीमा अलग अलग नागरिकता वालों की अलग अलग होती है। आपको अपने स्थानीय दूतावास में इसकी अधिकतम अवधि के बारे में जान लेना चाहिए।

विमान द्वारा

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विमान द्वारा यात्रा करना समय को बचाता है, क्योंकि सड़क के बहुत बड़े और घुमाव दार होने के कारण इसमें काफी समय लग जाता है। कई स्थानों में केवल विमान द्वारा ही पहुँचा जा सकता है। हैदराबाद और बेंगलुरु के हवाई अड्डे में बहुत नए उपकरण लगाए गए हैं। उत्तर और उत्तर पूर्व में ठंड के समय काफी धुंद होने के कारण कई बार विमान नहीं चलता है।

रेल द्वारा

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दिल्ली मेट्रो का दृश्य

रेल की सुविधा भारत में ब्रिटिश लोगों ने वर्ष 1853 में शुरू की थी। इसका मुख्य कारण भारत से मसाले, रत्न, आदि को आसानी से अपने देश ले जाना था। आजादी के बाद भारतीय रेल विभाग ने इसे खूबसूरत बनाने का कार्य किया और यह भारत में यात्रा करने के सुरक्षित मार्ग में से है। वर्तमान में यह दुनिया का सबसे बड़ा रेल मार्ग है।

बस द्वारा

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बस द्वारा यात्रा भारत में दूसरा सबसे पसंदीदा तरीका है। इससे उन स्थानों में जाया जा सकता है, जहाँ रेल द्वारा हम नहीं जा सकते हैं। कुछ निजी बस भी होते हैं, जिससे किसी स्थान में जाने के लिए उसे किराये पर ले सकते हैं। इसके अलावा कुछ छोटे दूरी के स्थान के लिए टैक्सी का भी उपयोग किया जा सकता है। लेकिन अधिक लोग होने पर बस ही सबसे अधिक उपयोगी होता है। निजी बस हर स्थान के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं। लेकिन इसके द्वारा लगभग हर स्थान तक जाया जा सकता है। इसके अलावा गाँव वाले स्थानों में जाने के लिए किसी दूसरे माध्यम का भी उपयोग किया जा सकता है।

खरीदना

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जुलाई 2010 से पहले ₹ के स्थान पर रु॰ चिह्न के रूप में प्रयोग किया जाता था। लेकिन कई जगह आज भी रु॰ चिह्न के रूप में मिलता है। इसे पूरे जगह उपयोग होने में कुछ और साल लगेंगे।


भारत में रुपया का मुद्रा के रूप में उपयोग किया जाता है। जिसे "₹" चिह्न के रूप में दिखाया जाता है। यदि 5 रुपये 75 पैसे लिखना हो तो उसे ₹5.75 लिखते हैं। हालांकि पैसे अब चलन में नहीं है। यहाँ अधिकतम खुदरा मूल्य हर उत्पाद पर लिखा होता है। जिसका अर्थ होता है कि उस सामान का उससे अधिक पैसा नहीं देना है। अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक किसी सामान को बेचना एक अपराध की श्रेणी में आता है।

केले के पत्ते में रखा हुआ खाना

यहाँ कई विभिन्न प्रकार के भोजन और नाश्ते मिलमिलते हैं, जिसमें से कई तो पूरे दुनिया में भी नहीं मिलते हैं। यहाँ कई तरह के मसाले भी होते हैं। इससे भोजन में स्वाद और खुशबू दोनों बहुत अच्छे होते हैं। यहाँ के मसाले कई देशों में भेजे जाते हैं। आजादी से पूर्व भी ब्रिटेन के लोग यहाँ से मसाले लेकर वहाँ ऊँचे दामों में बेचा करते थे।

बासमती और कई तरह के चावल भी यहाँ होते हैं, जिसे कई देशों में भेजा जाता है। यहाँ के समोशे, जलेबी, इडली, दोसा, भुजिया, और कई प्रकार के नास्ते भी विश्व प्रसिद्ध हैं। रोटी, पुरी, आदि भी भोजन के लिए उपयुक्त हैं।

भारत की संघीय स्तर पर कुल 2 आधिकारिक भाषाएँ हैं: हिन्दी और अंग्रेज़ी। अन्य भाषाएँ जैसे असमी, बंगाली, बोड़ो, डोगरी, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, और उर्दू राज्य स्तर पर अधिकारिक हैं। इसके अलावा सैकड़ों अन्य भाषाएँ और बोलियाँ भी हैं जो कई स्थानों पर बोली जाती हैं। हिन्दी के विभिन्न बोलियाँ बोलने वाले जनसंख्या के लगभग 40% है। यहाँ कई भाषाएँ हिन्दी भाषा से मिलती जुलती हैं, जिस कारण कई अन्य भाषाओं को समझने वाले भी हिन्दी को आसानी से समझ लेते हैं। जैसे कि गैर हिन्दी राज्यों गुजरात, पंजाब, और महाराष्ट्र में आपका काम हिन्दी से चल सकता हैं। उत्तर पूर्व के कई राज्यों में अंग्रेज़ी अधिकारिक भाषा है और विद्यालयों में पढ़ाई जाती है। वहाँ के शिक्षित लोग अंग्रेज़ी बोलना जानते हैं। हालांकि इनकी अधिकारिक भाषा अंग्रेज़ी नहीं है पर दक्षिण के राज्यों तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक का भी यही हाल है।

पीने के लिए नारियल पानी, गन्ना रस, आदि कई जगह में मिल जाते हैं। इसके अलावा यहाँ कई तरह के फलों के रस भी मिलते हैं।

सोने के लिए बहुत सारे सस्ते स्थान उपलब्ध हैं, यह जगह के अनुसार बदलते रहते हैं। शहरों में यह काफी महंगे होते हैं और गाँव जैसे इलाकों में काफी सस्ते होते हैं।

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