अपनी बात अपनो से

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अपनी बात अपनो से

*“ज़िंदगी बेनकाब”* किताब आपके हाथ में है, जिसमें अपने उलझे हुए विचारो से निश्चित रूप से पर्दा उठेगा। आप इन पंक्तियों को पढ़ रहे हैं तो इतना तो निश्चित है कि आपके हाथ प्रकृति के अभूतपूर्व, अलोकिक, वैज्ञानिक, व्यावहारिक, तर्कशील, सिद्धांत और नियम हाथ लग गये हैं, जो जीवन का सत्य है, जो वस्तु का स्वरूप है, जो मात्र मनुष्यों के लिए नहीं बल्कि प्राणी मात्र के लिए हैं, आत्मा और परमात्मा का सच्चा रूप है, जो समय की सीमाओं से बंधे नहीं हैं बल्कि उससे परे हैं, जो किसी भी धर्म विशेष से सम्बंधित नहीं हैं बल्कि धर्म को परिभाषित करते हैं, आध्यात्मिकता दर्शाते हैं, जो किसी व्यक्ति विशेष से सम्बंधित नहीं हैं बल्कि हर विशेष व्यक्ति के लिए हैं।  

मै ये वायदा करता हूँ अगर आपने इस किताब को हाथ में पेन/पेन्सल लेकर कम से कम तीन बार पढ़ा तो जीवन की सारी तकलीफ़ें, परेशानी, टेन्शन, डर, भय, चिंता, आकुलता, व्याकुलता, अपेक्षायें, एहसान, रूठना, मनाना, आपसी सम्बन्ध, लड़ाई झड़गे, क्रोध, अहंकार, मायाचारी, लोभ, लालच, इज्जत, बेइजती सब का हल ही नहीं मिलेगा बल्कि इनका कारण भी मिलेगा और जीवन का अपूर्व वैभव भी मिल जायेगा।

मुझे विश्वास है इस किताब का हर पन्ना आपके दिल और दिमाग़ को झकज़ोर देगा, जीवन को आनंदमयी बनाने के लिये उलझे हुये भ्रमित विचारो के मायाजाल को सुलझाते हुये उल्टी मान्यताओ को तोड़ते हुये सही दिशा की ओर ले जायेगा जिससे आप अपनी ही मस्ती में मस्त हो जायेंगे इस आनंद दायी मस्ती के लिए आपको सिर्फ़ एक ही व्यक्ति की ज़रूरत है वो हैं सिर्फ़ “आप” और एक चीज़ की ज़रूरत है वो है ये “किताब”।

यह कोई सामान्य किताब नहीं है, क्योंकि कठिन चीज़ को सरलता से प्रस्तुत करना बड़ा कठिन काम है, मुझे विश्वास है इससे सरल कुछ और हो ही नहीं सकता इस कारण इस एक किताब में कई किताब लिखने की तपस्या हुई है।

इस अनोखी किताब से मेरा आमदनी का कोई भी उद्देश्य नहीं है, इससे आने वाली रॉयल्टी के एक-एक पैसे को मैं और मेरा परिवार अनाथ बच्चों की शिक्षा में खर्च करेंगे।

एक विशेष निवेदन – अगर इस किताब से आपके जीवन में कुछ भी परिवर्तन आये तो अपने किसी एक दोस्त को इसे ज़रूर गिफ़्ट कर दें, हो सकता है आपके कारण किसी के जीवन में परिवर्तन आ जाये, जो काम मैंने इस किताब को लिखकर किया है उससे महान काम आप इसे गिफ़्ट देकर कर सकते हैं।

यह अमूल्य निधि आपके हाथ में तो आ ही चुकी है बस अब देर इसे पढ़ने की है, गुनने की है ।

SP Bharill

शुद्धात्म प्रकाश भारिल्ल

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