आईवीएफ (IVF) इलाज कैसे और कब होता है? जानें कितना खर्च आता है!
गलत लाइफस्टाइल और प्रदूषित वातावरण के कारण महिलाओं के शरीर में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं और उन्हीं में से एक है, प्रग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं। जहां महिलाएं बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होती है। कुछ ऐसे ही समस्याओं के समाधान के लिए बना है आईवीएफ (IVF) यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन। जहां आईवीएफ प्रक्रिया के द्वारा बाँझ दम्पत्तियों का उपचार किया जाता हैं और उन्हें अपनी संतान होने का सुख प्राप्त होता है।
आईवीएफ (IVF) क्या होता है?
आज के समय में, खान-पान से लेकर रहन-सहन तक, सभी चीजें बदल गई हैं। लोगों के जीवन-जीने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। जिसका असर महिलाओं के प्रेग्नेंसी पर भी पड़ता है। इन सब के कारण महिलाओं को कंसिव करने में भी दिक्कतें आती है। यदि कंसिव हो भी जाये तो मिसकैरेज जैसी समस्याएं हो जाती है या प्रेग्नेंसी सफलता पूर्वक नहीं हो पाती है। ऐसे समस्याओं से ही निजात पाने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट किया जाता है।
आइवीएफ को इन विट्रो फर्टीलाइजेशन के नाम से भी जाना जाता है। जब महिला का शरीर ऐग को फर्टिलाइज करने में सक्षम नहीं होता है, तो उसे लैब में फर्टीलाइज कराया जाता है। इसमें महिला के ऐग्स और पुरुष के स्पर्म को मिलाया जाता है। एक बार जब इसके संयोजन से भ्रूण का निर्माण हो जाता है, तो उसे वापस महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है।
दूसरे शब्दों में कहे तो, आईवीएफ ट्रीटमेंट स्त्री के ऐग और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निमार्ण किया जाता है। उसके बाद उस भ्रूण को वापस महिला के गर्भाशय में स्थानांतरिक दिया जाता है। इसे आईवीएफ कहते हैं। आईवीएफ को हिंदी में भ्रूण प्रत्यारोपण भी कहा जाता है और आईवीएफ के द्वारा जन्में शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है।
आईवीएफ (IVF) कैसे किया जाता है?
आईवीएफ प्रक्रिया करने से पहले महिला और पुरुष दोनों की जांच की जाती है। उसके बाद जांच की रिपोर्ट के आधार पर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है।
सबसे पहले पुरुष के सीमेन (स्पर्म) को लैब में दिया जाता है, जहां उसके अच्छे और खराब शुक्राणुओं को अलग-अलग किया जाता है। उसके बाद महिला के शरीर से इंजेक्शन के द्वारा उसके अंडे को बाहर निकाल कर फ्रीज किया जाता है। फिर लैब में अंडे के उपर अच्छे शुक्राणु जो सक्रिय है, उनको रखा जाता है और प्राकृतिक रूप से फर्टिलाइज होने के लिए छोड़ दिया जाता है।
उसके बाद फर्टिलाइजेशन के तीसरे दिन तक भ्रूण तैयार हो जाता है, जहाँ कैथिटर उपकरण की सहायता से उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। भ्रूण स्थानांतरित करने के कुछ घंटे बाद महिला अपने घर जा सकती है। फिर दो सप्ताह बाद महिला को गर्भाशय की जांच के लिए बुलाया जाता है और प्रेग्नेंसी टिप्स दिए जाते हैं।
आईवीएफ (IVF) कैसे होता है, इस पूरी प्रक्रिया को हम निम्नलिखित तरीको से भी समझ सकते हैं:-
आईवीएफ (IVF) का खर्च कितना है
भारत में आईवीएफ (IVF) इलाज के लिए समान्य खर्च 90,000 रुपये से लेकर 1,50,000 रुपये के बीच आता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित कारकों पर भिन्न-भिन्न हो सकते हैं:-
आईवीएफ गर्भावस्था के लक्षण क्या है?
आईवीएफ इलाज के बाद यदि महिला प्रेग्नेंट होती है तो निचे दिये गए लक्षण नजर आ सकते हैं:-
आईवीएफ के बाद क्या सावधानी बरतें?
आईवीएफ उपचार के बाद डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी सावधानियों का सख्ती से पालन करें, इससे सफल इलाज की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। आईवीएफ के बाद सावधानी बरतने के लिए आप निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रख सकते हैं:-
सारांश:- जब महिला कंसिव करने में असमर्थ होती है, तो आईवीएफ इलाज किया जाता है। कहने को यह प्रक्रिया महंगी और जटील है, लेकिन जिनके बच्चे नहीं हो पा रहे हैं, उनके लिए यह वरदान से कम नहीं है। आईवीएफ के द्वारा महिला के ऐग और पुरुष के स्पर्म को मिलाया जाता है, और भ्रूण बनने तक लैब में रखा जाता है, फिर भ्रूण विकसित होने के बाद उसे फिर से महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।