उज्ज्वल भविष्य के लिये प्रयत्नशील युवाओं को नयी भेंट
A book on Himalayan states, authored by Jay Singh Rawat. his is the third revised and well updated edition, published by Winsar Publishing co. Dehradun.

उज्ज्वल भविष्य के लिये प्रयत्नशील युवाओं को नयी भेंट

-जयसिंह रावत

ग्रामीण पत्रकारिता, उत्तराखण्ड की जनजातियों का इतिहास, स्वाधीनता आन्दोलन में उत्तराखण्ड की पत्रकारिता (प्रथम एवं द्वितीय संस्करण), टिहरी के ऐतिहासिक जन विद्रोह के साथ ही हिमालयी राज्य संदर्भ कोश शीर्षक से इस पुस्तक का यह तीसरा अपडेटेड संस्करण पाठकों और खास कर भविष्य के रंगीन सपने संजो कर तैयारियों में जुटे युवाओं के लिये प्रस्तुत है। इस पुस्तक के साथ ही संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग तथा विभिन्न राज्यों के अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोगों द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में युवाओं को मेरे द्वारा संपादित विन्सर इयर बुक (हिन्दी एवं अंग्रेजी) के वार्षिक संस्करणों का लाभ भी निरन्तर मिल रहा है। इस पुस्तक का शोध एवं अध्ययन इन्हीं प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रख कर किया गया है।

सिन्धु से लेकर ब्रह्मपुत्र या कराकोरम से लेकर अरुणाचल की पटकाइ पहाड़ियों तक की लगभग 2400 किमी लम्बी यह पर्वतमाला विलक्षण विविधताओं से भरपूर है। इस उच्च भूभाग में जितनी भौगोलिक विधिताएं हैं उतनी ही जैविक और सांस्कृतिक विविधताएं भी हंै। इन विधिताओं की जानकारियां जुटा कर समेटने का एक छोटा प्रयास मैंने इस पुस्तक में किया है। मेरा यह भी प्रयास है कि इस पुस्तक के माध्यम से देश के अन्य हिस्सों के लोग भी हिमालय और हिमालयी राज्यों तथा यहां के लोगों के बारे में अधिक से अधिक वाकिफ हो सकें।

हिमालय में 15 हजार से अधिक ग्लेशियर हैं और 100 से अधिक ऊंचे पर्वत शिखर। जिनमें दुनियां की सबसे ऊंची एवरेस्ट चोटी भी शामिल है। मानव सभ्यता और संस्कृति को ढालने में भौगोलिक कारक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिये एक पर्वत के पीछे और एक नदी के दूसरे किनारे से न केवल बोलचाल बल्कि रहन सहन में भी अन्तर आ जाता है। अब आप कल्पना कर सकते हैं कि सिन्धु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक कितनी संस्कृतियां मौजूद होंगी। आपना काम संक्षिप्त करने के लिये मैने केवल हिमालय की गोद में बसे इन 11 राज्यों के बारे में पाठकों को और खास कर युवा वर्ग को और खास कर प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं के लिये कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक जानकारियां उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। यहां यह बात भी स्पष्ट करना मैं जरूरी समझता हूं कि यह मेरा कोई शोधग्रन्थ नहीं है। ये जानकारियों मैंने विभिन्न राज्य सरकारों के वैब पोर्टलों, जनगणना रिपोर्ट, इतिहास की पुस्तकों, कुछ उपलब्ध प्राचीन ग्रन्थों के इधर उधर छपे अंशों आदि से जुटाई हैं और ऐसे ही दूसरे श्रोतों से उनकी पुष्टि की है। इस प्रक्रिया में मुझे कई जगह सरकारी दस्तावेजों में भी विसंगतियां भी नजर आई हैं। अध्ययान के दौरान मुझे उत्तरपूर्व के कुछ राज्यों के सरकारी पोर्टल अपडेट नहीं मिले।

एक छोर से लेकर दूसरे तक हिमालयी राज्यों में विविधताएं ही विविधताएं भरी पड़ी हैं। यहां सेकड़ों की संख्या में जन जातियां और उनकी उप जातियां मौजूद हैं और इनमें से सभी का अपना अलग-अलग जीने का तरीका है। इसीलिये इन जनजातियों की सांस्कृतिक पहचान को अक्षुण रखने और उन्हे उनके ही ढंग से जीने देने के लिये संविधान में इनके हितों, रिवाजों और पहचान को संरक्षण की गारण्टी दी गयी है। वास्तव में हिमालय की गोद में इतने अधिक वैविध्य के बावजूद इसमें निवास करने वाले सारे के सारे मानव समूह एक ही हिमालयी बिरादरी के सदस्य हैं। इसी सोच के तहत मैं भी चाहता हूं कि इस पुस्तक के माध्यम से समूची हिमालयी बिरादरी के युवा बेहतर भविष्य के सपने के साथ एक सूत्र में बंध जांय।

हालांकि हिमालय से अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत जुड़े हुये हैं, लेकिन यहां केवल भारतीय हिमालय का उल्लेख हो रहा है। सच्चाई यह है कि पूरे हिमालय और उसके निवासियों का सम्पूर्ण ज्ञानकोश तैयार करना किसी एक व्यक्ति के बूते की बात नहीं है। इसलिये मैंने केवल भारतीय हिमालय की गोद में बसे़े 11 राज्यों के बारे में जानकारियां जुटानेे का प्रयास किया है। फिर भी मेरा यह प्रयास गागर में सागर भरने का नहीं बल्कि सागर से एक गागरभर जानकारियां निकालने का है। वास्तव में मेरा प्रयास है कि इस पुस्तक के माध्यम से हिमालयी क्षेत्र के युवा पूरे क्षेत्र के बारे में अधिक से अधिक जानकारियां हासिल कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर सके। मुझे पूरा भरोसा है कि इस पुस्तक से लाखों युवा लाभान्वित होंगे और उनका भविष्य संवरेगा। इसमें सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र का नवीनतम् राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक और विकास सम्बन्धी विवरण समाहित है।

इस पुस्तक का प्रथम संस्करण वर्ष 2013, द्वितीय वर्ष 2016 और अब तीसरा संशोधित एवं सवंर्धित संस्करण 2020 में प्रकाशित हुआ है। ‘स्वाधीनता आन्दोलन में उत्तराखण्ड की पत्रकारिता’ शीर्षक के शोध ग्रन्थ का पहला प्रकाशन भी विन्सर पब्लिशिंग कंपनी द्वारा प्रकाशित किया गया था जबकि दूसरा अपडेटेड संस्करण भारत सरकार के नेशनल बुक ट्रस्ट आॅफ इंडिया द्वारा प्रकाशित किया गया, जिसकी पहले प्रिंट की सारी प्रतियां बिक गयी

पुस्तक का विवरण

शीर्षक: हिमालयी राज्य संदर्भ कोश (तीसरा संस्करण)

लेखक: जयसिंह रावत

प्रकाशक: कीर्ति नवानी, विन्सर पब्लिशिंग कंपनी, प्रथम तल, के.सी.सिटी सेंटर, 4 डिस्पेंसरी रोड, देहरादून। मोबाइल- 7055587779 एवं 09412325979

मूल्य - रु0 215/-

पृष्ठ: 216

आइएसबीएन: 978-81-86844-39-7ं।


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