चाटुकारिता भी एक कला है : किसी को आती नहीं, किसी की जाती नहीं !
एक राजा के तीन पुत्र थे । राजा तीनो पुत्रो को अच्छी शिक्षा देना चाहता था परन्तु तीनो पुत्र, अपनी माँ का सहारा ले कर ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाते । एक दिन राजा ने तीनो पुत्रों को ऋषि के पास भेजने का निर्णय लिया । तीनो पुत्रों (राजकुमारों) को जंगल के रास्ते ऋषि के आश्रम तक जाना था । 15 दिन की कठिन यात्रा के बाद तीनो राजकुमार आश्रम में पहुँच गए और ऋषि के चरण स्पर्श कर, भोजन कर, विश्राम करने चले गए ।
तीन राजकुमारों में से सबसे बड़े राजकुमार ने सोचा कि अगर में ऋषि की चाटुकारिता करता रहूँगा तो काम से भी बच जाऊंगा और सारा काम मेरे दोनों छोटे भाइयों को करना पड़ेगा । जब ऋषि ने तीनों राजकुमारों को बुलाया तो सबसे पहले यही सबसे बड़ा राजकुमार पहुँच गया और अपने दोनों भाइयों की बुराई करने लगा । तभी दोनों राजकुमार भी आ गए । ऋषि ने उनसे देरी से आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया की वो कुछ काम में व्यस्त हो गए इसलिए देरी से पहुंचे ।
ऋषि ने तीनों राजकुमारों को सभ्यता, शिष्टाचार व् आश्रम के नियमों के बारे में बताया । दोनों छोटे राजकुमारों ने तो मन बना लिया था की वो अच्छी तरह से काम करेंगे और अपने पिता को निराश नहीं करेंगे । परन्तु बड़े राजकुमार ने तो ऋषि की चाटुकारिता ही करनी थी ।
ऋषि ने तीनो राजकुमारों को एक खेत जोतने के लिए कहा । और तीनों राजकुमारों को काम बाँट दिए । छोटे राजकुमार को बीज डालने का काम दिया गया । मंझले राजकुमार को खेत में हल चला कर मिटटी को नरम करने का काम । और सबसे बड़े राजकुमार को खेत में पानी देना था ।
पहले दिन तो तीनो राजकुमार काम पर लग गए परन्तु दूसरे दिन से ही सबसे बड़ा राजकुमार ऋषि के पास जा कर उनकी चाटुकारिता करने लगा । आश्रम की बड़ाई करता और साथ ही साथ दोनों भाइयों की बुराई भी करता जाता । बड़े राजकुमार ने खेतों में जाना ही छोड़ दिया और सारा काम अपने दोनों भाइयों को सौंप दिया । परन्तु सारे काम का श्रेय स्वयं ही लेता और अपनी मेहनत का बखान करता ।
ऋषि यह सब देख भी रहे थे और समझ भी रहे थे ।
कुछ महीनों बाद फसल तैयार हो गयी और यह बात सबसे पहले बड़े राजकुमार ने ऋषि को जाकर बताई और साथ ही बखान किया कि उसने ही कितनी मेहनत की है फसल उगने में और किस तरह उसके दोनों भाइयों ने सिर्फ कामचोरी की है ।
ऋषि मुस्कुराये और खेत की तरफ चल दिए । उन्होंने वहां देखा की दोनों छोटे राजकुमार फसल को देख कर प्रसन्न हो रहे थे और अपनी काम की सफलता पर बहुत खुश थे । तभी ऋषि ने बड़े राजकुमार से फसल में बारे में बताने के लिए कहा - "यह क्या बोया है इसमें तो कुछ दिख ही नहीं रहा । कहाँ है फसल । तुम तो कह रहे थे बहुत अच्छी फसल हुई है । तुमने मुझसे झूट बोला और तुम्हे इसकी सज़ा मिलेगी ।"
बड़ा राजकुमार एकदम घबरा गया और तुरंत बोला - "ऋषिवर मैंने कुछ नहीं किया, यह सारा दोष तो इन दोनों राजकुमारों का है । मैं तो सदैव आपके पास ही था और आपको तो यह जानकारी है ही । सारी फसल इन दोनों ने ही ख़राब की है ।"
ऋषि ने फिर पुछा - "पर तुमने तो मुझे कहा था की सारा काम तुम कर रहे हो और तुम्हारे दोनों भाई सिर्फ बैठे रहते हैं ?" बड़ा राजकुमार तुरंत बोलै - "वो मैंने झूठ कहा था ऋषिवर।"
ऋषी ने दोनों छोटे राजकुमारों को पास बुलाया और उनको आशीर्वाद दिया । दोनों राजकुमार मुस्कुरा रहे थे और ऋषि भी मुस्कुरा रहे थे । बड़े राजकुमार को कुछ समझ में नहीं आया और उसने ऋषि से इसका कारण पुछा - "आप इन दोनों को दंड देने की बजाय आर्शीवाद दे रहे हैं ऋषिवर , क्यों ?"
ऋषि ने जवाब दिया - "राजकुमार तुम समझ रहे थे की मैं तुम्हारी चाटुकारिता को समझता नहीं हूँ , परन्तु ऐसा तुम्हारा भ्रम है । इन खेतों में फसल हुई है और बहुत अच्छी हुई है और इस कार्य में तुम्हारा कोई योगदान नहीं है । तुम्हारे छोटे भाइयों ने न सिर्फ अपना काम, बल्कि तुम्हारा काम भी किया है । क्यों कि अगर यह तुम्हारा काम नहीं करते तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती । तुम केवल दोषारोपण और दूसरों को नीचा दिखाने का कार्य करते रहे। एक राजा को यह समझ होती है कि कौन कार्य कर रहा है और कौन नहीं । मैं चाटुकारिता की कला को समझता हूँ ।"
ऋषि ने सबसे छोटे राजकुमार को फसल दिखाने के लिए कहा और जैसे ही राजकुमार ने पौधों को जड़ से निकाला, जड़ों में लगी "आलू" की फसल लहलहा कर बाहर आ गयी । दरअसल ऋषि ने तीनों राजकुमारों को "आलू" की फसल बोने के लिए कहा था और यह बात बड़ा राजकुमार समझ ही नहीं पाया क्योकि वह तो चाटुकारिता में मस्त था । दोनों छोटे राजकुमारों को चाटुकारिता आती नहीं थी और बड़े राजकुमार की चाटुकारिता जाती नहीं थी ।
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2moIske bina kam kaha hona hai Khas kar uper walo ka to isi se gujara hota hai🤣
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2moआजकल कंपनियों मे भी यही परंपरा चली आ रही है, और सीनीयर भी वैसे ही हैं, अच्छे ईम्पलोई से काम कराकर(उनके टांग खिंचकर) चाटुकार आगे बढ़ जा रहे हैं, और अच्छे ईम्पलोई को कोई ध्यान नही देता तथा उन्हे वह पद नही मील रहा जिसके वो लायक हैं, ईसलीए उन्हे मजबूरन रीजाईन देना पड़ता है, तथा चाटुकार जो की अच्छे पद पर हैं उनके द्वारा अच्छे ईम्पलोई को कंपनी से बाहर कर दिया जाता है।
Senior Manager - Product Management - Power Quality Solution/ AHF/ SVG/ Switchgear, / B2B / IEC 61439 - 1&2 I IEC/TR 61641 I IEC 62271-200 / Tricolite / Eaton.
2moThis is becoming mandatory compliance now a days, it’s a loss of of organisation and individual both…
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