जैविक खेती से करोड़पति बने लेखराम यादव, सालाना टर्नओवर 17 करोड़ रुपये के पार

जैविक खेती से करोड़पति बने लेखराम यादव, सालाना टर्नओवर 17 करोड़ रुपये के पार

कृषि संवाद (Krishi Samvad) में आपका स्वागत है। कृषि क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख खबरों पर यहां एक सरसरी नजर डालें... कृषि क्षेत्र से जुड़ी और भी खबरों के लिए हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें।

जैविक खेती से करोड़पति बने लेखराम यादव, सालाना टर्नओवर 17 करोड़ रुपये के पार

राजस्थान के कोटपूतली क्षेत्र में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे लेखराम यादव आज जैविक खेती के एक सफल उदाहरण बन चुके हैं. उनके संघर्ष और सफलता की कहानी न केवल किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि यह यह भी दर्शाती है कि अगर मेहनत और सही दिशा मिले तो कोई भी इंसान अपनी किस्मत बदल सकता है. लेखराम यादव ने अपनी खेती की शुरुआत 120 एकड़ से की थी, लेकिन आज वह 550 एकड़ से ज्यादा जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं. उनका यह सफर कठिनाईयों से भरा था, लेकिन उनके संघर्ष और अनूठी सोच ने उन्हें सफलता दिलाई.  यहां पढ़ें पूरी स्टोरी

इस रबी सीजन में 6.41 लाख मीट्रिक टन दालों की हुई खरीद, 2.75 लाख किसानों को मिला लाभ

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है, जिससे वे कृषि में ज्यादा निवेश कर सकें और उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि हो सके. इनमें से एक प्रमुख योजना है न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीति. इस नीति का उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है. एमएसपी उन फसलों के लिए तय किया जाता है, जो खरीफ और रबी सीजन में उगाई जाती हैं, जैसे प्रमुख अनाज, श्रीअन्न (बाजरा), दालें, तिलहन, खोपरा, कपास और जूट. सरकार ने एमएसपी को किसानों के लिए लाभकारी मानते हुए, 24 फसलों के लिए उत्पादन लागत का 1.5 गुना एमएसपी तय किया है. यह किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में मदद करता है. इसके साथ ही, सरकार प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) योजना भी चला रही है. यह योजना खासतौर पर दलहन, तिलहन और खोपरा के लिए लागू की जाती है.  यहां पढ़ें पूरी स्टोरी

फल के बागों और घरों में लाल चींटियों की परेशानी को ऐसे कहें अलविदा!

लाल चींटियां कीट नियंत्रण में योगदान देकर बागवानी फसलों में लाभकारी भूमिका भी निभाती हैं. वे प्राकृतिक शिकारी हैं जो कीटों को खाते हैं, जिससे कीटों की आबादी को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है. इसके अतिरिक्त, उनकी घोंसला निर्माण गतिविधियां मिट्टी के वातन और जल निकासी में भी सुधार करती हैं. हालांकि, संतुलन बनाना आवश्यक है, क्योंकि बहुत अधिक लाल चींटियां कुछ लाभकारी कीड़ों और पौधों पर नकारात्मक प्रभाव भी डालती हैं. फलों के बगीचों में लाल चींटियों के प्रबंधन/Management of Red Ants in Fruit Orchards में एक बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल होता है जो जैविक और रासायनिक नियंत्रण पर आधारित होता है. लाल चींटियां, जो आमतौर पर अपने आक्रामक व्यवहार और दर्दनाक डंक के लिए जानी जाती हैं, अगर उनकी आबादी को अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो वे फलों की फसलों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती हैं.  यहां पढ़ें पूरी स्टोरी

सर्दियों में गुलदाउदी की देखभाल: प्रमुख बीमारियां और उनके प्रभावी प्रबंधन के उपाय

गुलदाउदी बारहमासी पौधे हैं, जो अपनी सजावटी सुंदरता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. ये दीर्घायु और खुशी का प्रतीक हैं. एस्टेरसिया परिवार से संबंधित ये फूल सफेद, पीले, गुलाबी और लाल सहित रंगों की एक विस्तृत श्रृंखला में देखे जाते हैं. गुलदाउदी शरद ऋतु के दौरान लोकप्रियता में चरम पर होती है, जो मौसमी प्रतीक के रूप में काम करती है. विश्व स्तर पर उगाए गए, ये पौधे विविध आकार और साइज वाले होते हैं. चाहे बगीचों को सजाना हो या सांस्कृतिक उत्सवों को सजाना हो, गुलदाउदी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व के बहुमुखी, पोषित प्रतीकों के रूप में खड़े हैं. सर्दियों में गुलदाउदी की प्रमुख बीमारियों के प्रबंधन के लिए उन विशिष्ट चुनौतियों की व्यापक समझ की आवश्यकता होती है जिनका पौधों को इस मौसम में सामना करना पड़ता है. ऐसे में कई बीमारियां गुलदाउदी को प्रभावित करती है और पौधों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रभावी प्रबंधन उपायों को प्रयोग करना महत्वपूर्ण है.  यहां पढ़ें पूरी स्टोरी

राष्ट्रपति निलयम में पुष्प और बागवानी का महोत्सव, सिकंदराबाद में 29 दिसंबर से आयोजित होगा 'गार्डन फेस्टिवल'

सिकंदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलयम में 29 दिसंबर, 2024 से पुष्प और बागवानी से संबंधित 15 दिनों का उद्यान उत्सव आयोजित किया जाएगा. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान (मैनेज) हैदराबाद और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से आयोजित आयोजित किया जाएगा. यह आयोजन पुष्प प्रदर्शन और बागवानी को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है.  यहां पढ़ें पूरी स्टोरी

To view or add a comment, sign in

Explore topics