मातृ पोषण: माँ और बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रभाव
कुपोषित माताएँ कुपोषित बच्चों को जन्म देती हैं। ये बच्चे बड़े होकर न केवल कुपोषित वयस्क बनते हैं, बल्कि अगली पीढ़ी में कुपोषण का खतरा भी बढ़ाते हैं। यह दुष्चक्र असमानताओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक और भी गहरा बना देता है।
हालांकि, इस स्थिति को बदला जा सकता है। सही रणनीतियों और समझदारी से किए गए निवेश के जरिए इस दुष्चक्र को तोड़कर इसे एक सकारात्मक चक्र में बदला जा सकता है, जो न केवल परिवारों और समुदायों को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी सशक्त बना सके।
गर्भावस्था और प्रसवोत्तर अवधि में मातृ पोषण का सीधा संबंध माँ और बच्चे के स्वास्थ्य से होता है। इस दौरान पोषण की कमी से माँ और शिशु दोनों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस लेख में हम गर्भावस्था के दौरान पोषण की भूमिका, इसके प्रभाव, और इससे जुड़े सामाजिक और आर्थिक कारकों पर चर्चा करेंगे।
मातृ पोषण की कमी के प्रभाव
गर्भावस्था में कुपोषण कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। विशेष रूप से, मातृ एनीमिया (खून की कमी) एक आम समस्या है, जो गंभीर स्थिति में मातृ मृत्यु का खतरा बढ़ा देती है (Brabin et al., 2001)। इसके अलावा:
साक्ष्य यह भी बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान माँ का पोषण बच्चे की लंबाई और विकास को प्रभावित करता है। दक्षिण एशिया में, मातृ पोषण की कमी से बच्चे में स्टंटिंग (लंबाई कम रह जाना) की समस्या होती है, जिसके प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रह सकते हैं (Kim et al., 2017; Christian et al., 2013)।
मातृ पोषण और दीर्घकालिक परिणाम
एक अध्ययन से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान माताओं द्वारा प्रसव पूर्व देखभाल (Prenatal Care) का उपयोग बच्चों के विकास और शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव डालता है:
अधिक पोषण के खतरे
पोषण की कमी जितनी हानिकारक है, उतना ही अधिक पोषण भी माँ और बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है।
मातृ कुपोषण के अंतर्निहित कारण
मातृ कुपोषण के पीछे कई कारक काम करते हैं:
इन कारकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियाँ प्रभावित करती हैं। विभिन्न देशों में इन कारकों का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है (UNICEF, 2013)।
मातृ पोषण सुधारने के लिए समाधान
निष्कर्ष
मातृ पोषण माँ और बच्चे के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कुपोषण से निपटने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर उपलब्धता और सामाजिक समर्थन अनिवार्य हैं। पोषण में सुधार से न केवल माँ और बच्चे का स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि इससे समाज के संपूर्ण विकास को भी गति मिलती है।
"एक स्वस्थ माँ ही एक स्वस्थ परिवार और सशक्त समाज की नींव रख सकती है। आइए, मातृ पोषण को प्राथमिकता देकर एक बेहतर भविष्य का निर्माण करें।"
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