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अमीबी प्रवाहिका

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अमीबी प्रवाहिका (Amoebiasis या amoebic dysentery) एक संक्रमण है जो एन्टअमीबा (Entamoeba) समूह के किसी भी अमीबा द्वारा हुई हो।

अमीबी प्रवाहिका 'एंटअमीबा हिस्टोलिटिका' नामक अमीबा के बड़ी आंत में पहुंचने और वहां घाव कर देने से होता है। इस घाव से रक्त निकलता है जो आंव के साथ मल मार्ग से, मरोड़ के साथ निकलता है। यह प्रायः युवावस्था में होता है। इसका आक्रमण आकस्मिक नहीं, बल्कि धीरे-धीरे होता है। दीर्घकालीन जीर्ण रोग है ।

इस रोग में प्रायः ज्वर नहीं होता है और इसमें विषाक्तता एवं घातकता नहीं होती। यह रोग दवा, इलाज से दब जाता है, ठीक हो जाता है और थोड़ी सी बदपरहेजी होने पर फिर प्रकट हो जता है। इस तरह वर्षों तक पीछा नहीं छोड़ता।

अमीबी प्रवाहिका होने पर अतिसार की अपेक्षा कोष्ठबद्धता की स्थिति ज्यादातर पाई जाती है। कभी-कभी पतला दस्त भी होता है और दस्तों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। दस्त में आंव और खून आता रहता है, शरीर में आलस्य बना रहता है और रोगी दुबला होने लगता है।

मल में एंटअमीबा हिस्टोलिटिका का मिलना और यकृत में विकार होना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

तीव्र प्रवाहिका (एक्यूट डीसेण्ट्री): तेज मरोड़ व दर्द के साथ दिन में कई बार दस्त होता है, जिसमें आंव और खून भी होता है। शौच आने से पहले और शौच करने के बाद देर तक पेट में मरोड़ होती रहती है, दर्द होता है, पेट के दोनों तरफ दबाने से कष्ट होता है।

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